Saturday, January 10, 2009

आंसू-२


उसने
जब जब छुआ है
चेहरा
ख़ुद का
कांपती हथेलियों ने पूछा है


तुम सागर तो नहीं हो

फिर
यह चेहरे पर तुम्हारे
रेत सा गीलापन क्यों है ?


अब
कौन इन सूखी सी
अपनी ही लकीरों से उलझती,
मात खाती

हथेलियों को समझाए


"आंसुओं के लिए भी कभी कोई शर्त होती है ???"

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

    ---मेरा पृष्ठ
    चाँद, बादल और शाम

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  2. बहुत सुंदर भाव पूर्ण लिखा है आपने

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