Monday, January 5, 2009

....प्रतिक्रया !

"बोल हल्ला" ब्लॉग पर 'कैसे मिलेगा न्याय जयश्री को' पोस्ट पड़ने के बाद की प्रतिक्रया"


कभी घर के अंदर कोई आरुशी

तो कभी बाहर कोई जयश्री
किसी मिटटी के लौंदे की तरह मसल दी जाती है
मिटा दी जाती है ;
ब्लैक बोर्ड पर लिखी किसी इबारत की तरह !

हम सिर्फ़ तमाशबीन से तमाशा देखते हैं
कभी बहुत हुआ तो कोई धरना दे दिया
या फिर जला ली एक-आध मोमबत्ती

उसके बाद
किसी को कोई फर्क नही पड़ता
कोई परिंदा नही उड़ता
दरिंदा अपनी मनमानी का जशन खुल के मनाता है !

कभी खादी तो कभी खाकी
सिर्फ़ मुखौटे बदलते हैं , शिकार बदलते हैं
शिकारी नही

रक्षक ही भक्षक है , क्या कीजियेगा ,
सभ्यता सिर्फ़ किताबों में छपा एक लफ्ज़ है
पड़ लीजियेगा
.................और बस भूल जाईयेगा !!

11 comments:

  1. कलियाँ ही नित कुचलीं जातीं कैसे खिले सुमन उपवन में।
    राह एक ही बचने का है क्रांति जगे अब जन गण मन में।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  2. Pehle mujhe aapka swagat karne do...anek shubhkamnayen....rachna badee achhee hai...mai koyi lekhak to nahee, mere blogpe aaneka snehil nimantran !
    Phir ekbaar aake aapko padhungee.."page load error" ke karan, mai doosare blogpe janeme badee kathinayee mesoos kar rahi hun !

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  3. ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है!
    मेरी शुभकामनाएं!
    मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.

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  4. सभ्यता सिर्फ़ किताबों में छपा एक लफ्ज़ है
    पड़ लीजियेगा
    .................और बस भूल जाईयेगा !!

    Yatharth aur pira hai in panktiyon mein. Swagat.

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  5. ब्लोगिंग की दुनिया में आपका हार्दिक स्वागत है. आपका लेखन फले-फूले और आपके शब्दों को नित नए अर्थ और रूप मिलें यही शुभ कामना है.
    मेरे ब्लॉग पर भी पधारें.

    http://www.hindi-nikash.blogspot.com

    आनंदकृष्ण,

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  6. वाह बढ़िया कविता स्वागत है आपका ।

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  7. तकरीबन हर आदमी अन्दर से असभ्य ही है और और उसकी असभ्यता को बहार आने से रोकती हैं समाज की व्यवस्थाएं .... जिस व्यक्ति के मन से समाज की व्यवस्था का आदर छूट जाता है वह ऐसे नीच अधम कृत् कर बैठता है

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  8. बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  9. कभी खादी तो कभी खाकी
    सिर्फ़ मुखौटे बदलते हैं , शिकार बदलते हैं
    शिकारी नही

    बहुत सुंदर...इस के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है

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  10. आज आपका ब्लॉग देखा... बहुत अच्छा लगा. मेरी कामना है की आपके शब्दों को ऐसी ही ही नित-नई ऊर्जा, शक्ति और गहरे अर्थ मिलें जिससे वे जन सरोकारों की सशक्त अभिव्यक्ति का समर्थ माध्यम बन सकें....
    कभी फुर्सत में मेरे ब्लॉग पर पधारें;-
    http://www.hindi-nikash.blogspot.com


    शुभकामनाओं सहित सादर-
    आनंदकृष्ण, जबलपुर

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