मैं का टूटना हम हो जाना दर्द है तपती सांकल की तरह ना छुअन की संभावना ना ही खुल जाने की आस
बंद होती हथेली पर पूर्ण और अपूर्ण के दरम्यान भीड़ सा हो जाने का अहसास सर उठाता है .. चुभता रहता है तीखी किरचों की तरह एकाकीपन आँख बंद करता है ( अंधों से परिचय भी हो तो कितना )
टूटना बिखरना परिभाषाएं खो देना कब हुए पर्याय - जुड़ जाने के ?
कब हुआ करीब आना दूर.... बहुत दूर हो जाना खुद से ?
रौशनी से ज्यादा नजदीकी - हमेशा अँधेरा ही क्यों होती है ?
प्रश्नों की दूब पर ओस बन के कोई उत्तर उतरे ना उतरे... स्तिथि मात्र यही है ... मैं का टूटना हम हो जाना दर्द है स्वीकारना होगा दर्द की तरह !!!
2025
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The opening ceremony of Juxtapose 2025 commenced with a nostalgic note,
showing memories from the past years on screen.
The distinguished faculty and s...
रंग चैत्र महीने के
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*रंग चैत्र के ...*
चैत्र का महीना बदलाव का महीना है , नए रंग में कुदरत जैसे खुद से मिला कर
सम्मोहित करती है।
अमृता ने इसी महीने से जुड़ा बहुत कुछ ...
इश्क़ का बीज
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लो मैंने बो दिया है
इश्क़ का बीज
कल जब इसमें फूल लगेंगे
वो किसी जाति मज़हब के नहीं होंगे
वो होंगे तेरी मेरी मुहब्बत के पाक ख़ुशनुमा फूल
तुम उन अक्षरों से मुहब्...
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हैप्पी टु ब्लीड... क्योंकि दाग अच्छे हैं
हाल ही में में सबरीमाला मंदिर के धर्माधिकारियों द्वारा स्त्रियों के लिए
मासिक धर्म फ्रिस्किंग़् मशीन लगाने की घ...
चरण स्पर्श
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'पाय लागूं काका '
'जीवतो रह बेटा ....... आज घणो राजी-राजी लाग रयो है '
'राजी होने की तो बात है काका'
'क्या '
'आप का आशीर्वाद मिल गया काका'
'वो तो पाय लगने स...
ख़ुद की पहचान ? अभी कहाँ हुई ....! ना मालूम क्या चाहत है और कैसी तलाश ! अभी तक तो सिर्फ़ चल रहा है अनवरत सिलसिला ! सवाल यह नहीं है की आप कहाँ है , सवाल यह है कि जहाँ भी आप है वहां आप कर क्या रहें हैं !