Tuesday, December 30, 2008

"नववर्ष की शुभ कामनाएं "



समक्रमिकता से समस्वरता ...
होती विस्तृत चेतनता ;
पुष्पित कुसुमित होता अवचेतन
धूम्राच्छादित परिवेश से परे
अलमस्त कुछ सागर की तरह ;

स्तनित नर्तन , अतिवर्तन
औ' जीवंतता ,
स्वर नियंता का
चरैवेति ....चरैवेति !

है लक्ष्य से भी महत्वपूर्ण
गंतव्य -
यात्रा की निरंतरता !
चलती रहे यात्रा !!

सद्य : स्नात नवप्रभात ज्योतिर्मय हो !!



No comments:

Post a Comment