कृपया
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'कृपया'
एक निवेदन है
और आग्रह भी
'कृपा' जिसमें
किसी एक का परिणाम बन जाती है।
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अपनी छाया के अंदर
कूदकर देखता हूँ
तो पाता हूँ
वहां वह कठोरता म...
रंग चैत्र महीने के
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*रंग चैत्र के ...*
चैत्र का महीना बदलाव का महीना है , नए रंग में कुदरत जैसे खुद से मिला कर
सम्मोहित करती है।
अमृता ने इसी महीने से जुड़ा बहुत कुछ ...
नया मौसम
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नया मौसम
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*जिस दम रात के उस पहर*
*ओस का आलिंगन पा कर*
*किरणों की बारिशें*
*खामोशियों के सैलाब*
*तुमाहरी कलाई थाम कर*
*बे इन्तहा रक्स कर...
बदमाश औरत
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कल से इक विवादास्पद लेखक की अपने किसी कमेंट में कही इक बात बार बार हथौड़े
सी चोट कर रही थी ...." कुछ बदमाश औरतों ने बात का बतंगड़ बना दिया ...."
बस वहीं इस क...
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हैप्पी टु ब्लीड... क्योंकि दाग अच्छे हैं
हाल ही में में सबरीमाला मंदिर के धर्माधिकारियों द्वारा स्त्रियों के लिए
मासिक धर्म फ्रिस्किंग़् मशीन लगाने की घो...
चरण स्पर्श
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'पाय लागूं काका '
'जीवतो रह बेटा ....... आज घणो राजी-राजी लाग रयो है '
'राजी होने की तो बात है काका'
'क्या '
'आप का आशीर्वाद मिल गया काका'
'वो तो पाय लगने स...
ख़ुद की पहचान ? अभी कहाँ हुई ....! ना मालूम क्या चाहत है और कैसी तलाश ! अभी तक तो सिर्फ़ चल रहा है अनवरत सिलसिला ! सवाल यह नहीं है की आप कहाँ है , सवाल यह है कि जहाँ भी आप है वहां आप कर क्या रहें हैं !
bahut achhi lagi rachana badhai
ReplyDeleteवाह ! वाह ! वाह ! लाजवाब......आपने तो भावों को शब्द दे अस्जीव कर कागज पर बिखेर दिया.वाह !
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा...बधाई।
ReplyDelete"मैं आज खूब निडर हो गया हूँ !"
ReplyDeleteकितना सत्य है न , सच में आज मैं निडर हो गया हूँ !
संपत्ति के खोने का डर नहीं रहा न अब .. क्योंकि "तुम" जो थे अब वो संपत्ति कहाँ रही अपनी !!
बेहद जज्बात भरा अभिव्यक्तिकरण !!!