Wednesday, April 11, 2018



हवा में उड़ने वाले को,
ज़मी का बशर नही दिखता !
मकाँ की छत तो दिखती है
पर अपना घर नहीं दिखता !!






"बाकी सब ठीक है "

जो चाहा था
मिला
सब कुछ
मगर
जो मिला
सब कुछ
क्या चाहा था
यही सब कुछ

जीवन की शर्तें
'कन्डीशन अप्लाई'
के साथ होती है
नज़र नहीं आती
सीढ़ी की रेलिंग
छुए बिना भी
ऊपर
चढ़ते चले जाने का अहसास
नशा है
आह्लादित करता है
निश्चय ही
बहुत कुछ करता है
सिवाय इसके
कि पायदान
ऊपर की बजाय
नीचे फिसल रहें हैं
और ऊपर जाने की खबर
झूठ है
खुली नहीं
बन्द मुट्ठी भी खाक ही होती हैं
पर कमबख्त
झूठे मुहावरों के मुग़ालते में
समझ
धोखा खाती है
देती तो है ही !
ज़िन्दगी खाब है
यह पता होता
तो भी जागने की कोशिश
बदतमीज़ी है
नींद
हर बुरे खाब के बावजूद
खूबसूरत है
चार घण्टे की हो
या चार जन्मों की
चाहा यही था
बस एक
सवालिया निशान है
क्या चाहा यही था ?
बाकी सब ठीक है !!

Thursday, November 10, 2011

Sunday, February 14, 2010

" फिर दिखा वो आइना ...."




चंद कतरे ज़िंदगी की ओस के, होंठों पे रख
मैं खुश हुआ था,
फिर किसी उम्मीद के अहसास ने आकर के यूँ
मुझको छुआ था !

एक पल में उड़ चले थे , सोच के पर जाने कहाँ,
सच मेरी लाचार हालत का भी मुझको झूठ सा
लगने लगा था !

.......कि अचानक दिख गयी तस्वीर वो जो थी हकीकत,
फिर दिखा वो आइना किरचें समेटे ज्यों का त्यों
टूटा हुआ था !

अब वही सूखे से कतरे आँख में फिर तिर रहें हैं
भीगते तो अश्क बन कर बह भी जाते,
रूह के फैले अंधेरों में बेमकसद, फिर रहें हैं !

फिर वही मैं हूँ औ' मेरी बेबसी,
पर कब तलक !
आज की रात कटेगी तो सहर देखूँगा !!!!

Saturday, February 6, 2010

"मैं मगर हारा नहीं हूँ...."



थक गया हूँ मैं भले ही
मैं मगर हारा नहीं हूँ...
वक़्त हो कितना भी कातिल
वक़्त का मारा नहीं हूँ !!

दीप मेरा आँधियों में लड़खड़ाता ही सही
पर जल रहा है....
हौसला बोझिल हुआ सा डगमगाता ही सही
पर चल रहा है !

रौशनी की लकीरें कुछ दिखें या न सही ,
घबरा के दम को घोंट लूं , मैं वो अँधियारा नहीं हूँ
थक गया हूँ मैं भले ही, मैं मगर हारा नहीं हूँ !!

नाव मेरी इस भंवर में फस चुकी हो भले
डूबी नहीं है...
डाली डाली बागबाँ की छितरी पड़ी हो भले
सूखी नहीं है !

ज्वार ऊँचा हो भले आकाश से, होता रहे
इस प्रलय में डूब जाऊं, सागर का वो किनारा नहीं हूँ ...
थक गया हूँ मैं भले ही, मैं मगर हारा नहीं हूँ !!

Monday, October 19, 2009

आज खबर है - कल दीवाली थी....




कुछ फुसफुसाहटें सी सुनाई तो दी थी यहाँ !
कुछ रौशनी सी भी हुई थी इस खामोश कोने में
आज खबर है - कल दीवाली थी , गुज़र गयी !!

Friday, October 16, 2009

** शुभकामनायें **

दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें